गोदान और मैला आँचल में तुलना

 गोदान और मैला आँचल में तुलना


          गोदानप्रेमचंद जी का अंतिम उपन्यास है तो ‘‘ मैला आँचल’’ रेणु का पहला उपन्यास।

          प्रेमचंदजी काशी या लखनऊ के आसपास के गाँव, ग्रामीण जीवन और समस्याओं को हीं अपने उपन्यासों कहानियों में चित्रित करते हैं। उनके उपन्यासों के चित्रित गाँव गाँव मात्र है गाँव विशेष नहीं। उनके उपन्यासों की समस्याएँ भी सम्पूर्ण राष्ट्रीय समस्याएँ हैं। प्रेमचंद जी लोक भाषा और लोक संस्कृति का भी उपयोग करते हैं लेकिन वे गाँव के चरित्र का आंतरिक वैशिष्ट्य प्रकट नहीं होने देते गोदान का गाँव बेलारी और शहर लखनऊ अपने आंचलिक वैशिष्ट्य को ध्वनित नहीं करते क्रमश: समस्त गाँव और शहर का  प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए गोदान में गाँव शहर या जीवन का चित्र बिल्कुल राष्ट्रीय है। इसके विपरित

          फनीश्‍वर नाथ रेणु मैला आँचल में स्थानीय बोली, जनपदीय मिथक, वहाँ की संस्कृति और लोक गीतों का प्रयोग कर मेरीगंज को आंचलिक वैशिष्ट्य से युक्त कर देश के अन्य अंचलों के गाँव से भिन्न बना देते हैं। मैथिली और हिन्दी को मिलाकर एक मिश्रित जनपदीय भाषा गढ़ लेते हैं जिसे उन्होंने कचराहीकहा है। मैला आँचल के चरित्र अपने इसी भाषा के कारण दूसरे आंचलिक चरित्रों से मिन्न हैं। जनपदीय मिथक और लोकगीत भी उनकी भिन्नता के कारण है। डा0 रामविलाष शर्मा यह मानते हैं कि मैला आँचल में रेणु ने किस्सागोयी की एक नयी तकनीक का विकास किया। वे फिल्मों की तरह उपन्यास में अनेक सॉर्टस को इकट्ठा कर देते हैं वगैर इसकी परवाह किए कि उनमें पारस्परिक विभिन्नता है। मैला आँचल में रचनाकार एक ही अध्याय में तीन-चार बार कट लगाकर कथात्मक विच्छेद पैदा कर देता है।

          गोदान और मैला आँचल दोनों में शोषण, वैशम्य, जातिगत भिन्नता, अलाभकर खेती, सामंती उत्पीड़न का चित्र है। और यह चित्र दोनों उपन्यासों को सम बिन्दु पर लाता है। दोनों उपन्यासों में व्यक्ति और समाज एक दूसरे में दखल देते हुए आते है और एक दूसरे के लिए द्वन्‍द्व और तनाव सृजित करते हैं।

          डा0 विजय देवनारायण शाही ने कहा है कि गोदान के मेहता और मालती नये ढंग के चरित्र हैं। प्रेमचंद ने उन्हें अथाह स्नेह दिया है। लेकिन के जीवित नहीं हो सके हैं। जिस तरह होरी, धनिया, गोबर, झुनिया, गिरधर भोला जीवित पात्र हैं। लेकिन प्रेमचन्द को पता है कि मेहता और मालती इस देश के भावि चरित्र है इन्हें जीवित होना होगा।  गोदान में मेहता उसी तरह का एक वैचारिक सैद्धान्तिक चरित्र है जिस तरह मैला आँचल में डा0 प्रशान्त वैचारिक एवं सैद्धान्तिक चरित्र है। इन्हें समाज का दिशा निर्धारक चरित्र कह सकते हैं। इनके सामने गोदान का गोबर और मैला आँचल का कालीचरण कर्मवादी चरित्र है। मेहता और प्रशान्त के सिद्धान्तों और दिशा निर्देशों को क्रमश: गोबर और कालीचरण ही व्यवहारिक परिणति देंगे। मेहता और प्रशान्त में जहाँ गम्भीरता है वहीं गोबर और कालीचरण में विद्रोह।

          गोदान का होरी और मैला आँचल का बावनदास जीवन पर मानवीय मूल्यों के लिए जुझते रहें। इनमें अपार संवेदनशीलता है। इनका मर जाना यह सिद्ध करता है कि समाज में मानव मूल्यों के संरक्षा की लड़ाई बहुत कठिन होती गयी है। एक आलोचक ने कहा है कि इनका जीवन बहुत आसान नहीं है क्योंकि इनमें बहुत भावुकता है। लेकिन इनका मरना बहुत सारवान है क्योंकि उससे समाज की मानव विरोधी शक्तियों की क्रूरता अपनी भयावहता के साथ उद्घाटित हो जाती है। वे जीकर मूल्यों में विश्‍वास उतना नहीं पैदा कर पाते जितना मर कर करते हैं। उनके प्रति सहानुभूति भी मरने के बाद हीं पैदा होती है।

          गोदान की डा0 मिस मालती और मैला आँचल की डाक्टर ममता श्रीवास्तव में सिर्फ पेशागत सानता नहीं है। दोनों जन जागरण के प्रति प्रतिबद्ध हैं और पीड़ितों के उत्थान में अपने पेशे की सार्थकता ढूढंती है। मिस मालती शुरू में अपनी मध्यवर्गीय जिम्मेदारियों को नहीं समझती, वे मानती हैं कि अपनी ही चिंता से सर में दर्द होने लगता है तो कोई विश्‍व की चिंता लेकर नहीं चल सकता। वे डाक्टरी जैसे पेशे को भी धन संचय का जरिया समझती है। कोई गरीब स्त्री जन उनके दवाखाने में आ जाती है तो वे नोंक भौं सिकोड़ने लगती हैं। मेहता के सम्पर्क और सांनिध्य के कारण वे अपने स्थिर चरित्र को गतिशील करती हैं। वे अब बिना पैसा लिए गरीबों का इलाज करती है। सेवा सुश्रुसा और त्याग के आदर्श को अपनाकर स्त्रियों की सोयी आस्था को जगाने में जुट जाती हैं। ममता श्रीवास्तव शुरू से ही अपनी सामाजिक भूमिका पहचानती है वे सेवा संगठनों से जुड़कर गरीब स्त्रियों के जिंदगी में हँसी बिखेरने में लगी रहती हैं। डा0 प्रशान्त के सेवाकार्यों के लिए भी वे ही संबल और प्रेरणा बनती है।

          गोदान में खलिहान है और मैला आँचल में भी। कृषि कार्य के साथ खलिहान का बड़ा पुराना रिश्‍ता है। गोदान में यह खलिहान फसल तैयार करने की जगह के साथ-साथ सिलिया और हरखू के मानवाधिकार की लड़ाई के लिए अखाड़ा भी बन जाता है। सारे चमार मातादीन के मुँह में हड्डी डालकर उसका धर्म भ्रष्ट कर देते हैं। मतलब यह कि यह लड़ाई स्वत्व रक्षा की लड़ाई हो गयी इसने जाति संघर्ष का रूप  नहीं लिया।

          मैला आँचल में खलिहान का कोई राजनीतिक सामाजिक उपयोग नहीं है। भुरूकुआ जगते ही खलिहान जग उठता है। गोदान और मैला आँचल दोनों में अलाभकर खेती के कारण युवकों का मजदूरों का गाँव से शहर की ओर पलायन चित्रित है। गोदान में गोबर और जंगी खेतों में अपना भविष्य नहीं ढुढ़ पाते और शहर जाकर ओद्यौगिक सर्वहारा बन जाते हैं। मिर्जा खुर्शीद के अखाड़े में कबड्डी खेलने वाले मजदूर गाँव से भागे हुए किसान के बेटे ही है। मैला आँचल में भी एक खेतिहर मजूदर कहता है चलो चले कटिहार चलो यहाँ क्या रखा है। जूट मिल में मजूदरी के लालच में खेती से उखड़े हुए लड़के गाँव छोडकर भाग रहे हैं।

          प्रेमचन्द जी के अन्य उपन्यासों की तरह गोदान में भी व्यक्ति चरित्र अन्ततः वर्ग चरित्र में तबदील हो जाता है। मैला आँचल में रेणु जी समाज की वर्गीकरण जनधारणा को समझते हुए भी व्यक्ति के व्यक्तिक चरित्र का वैशिष्ट्य बनाए रखते हैं। वे एक ही वर्ग के विभिन्न व्यक्तियों को परस्पर विरोधी तत्वों से निर्मित करते हैं। उनका चरित्र वर्ग के टाइप चरित्रों से कभी-कभी बिल्कुल विपरित भी दिखता है।

          दोनों में कुछ हद तक शिल्पगत समानता भी है। गोदान की कथा शहरी कथा और ग्रामीण कथा का द्वन्द्वात्मक ऐक्य है। रचनाकर औपन्यासिक कथा को ग्रामीण कथा और नगर कथा में विभाजित कर शहर द्वारा गाँव के व्यापक शोषण का चित्र खड़ा करता है। दूसरे यह कि वह नगर जीवन और ग्राम जीवन को चित्रित करते हुए भारतीय जीवन का प्रतिनिधिक परिचय देना चाहता है। मैला आँचल आजादी के कुछ साल पहले और आजादी के साथ डेढ़ साल बाद की कथा है। मतलब यह कथा भी आजादी पूर्व और आजादी पश्चात्य् से भागों में बंटी है। लेकिन इससे भी बेहतर है यह कहना है इसका हर अध्याय खण्ड-खण्ड प्रसंगों की बुनावट है। रचनाकार ने वर्णात्मक शैली को त्यागकर एक नई शैली इजाद की। निर्मला वर्मा कहते है कि रेणु ने कथा को कई एपिसोड में बाँटा। इन्हें जोड़ने वाला मुख्य तत्व कथा सूत्र नहीं है बल्कि अंचल का बड़ा लैंडस्केप है। उस बड़े चित्रफलक पर उपर से विछिन्न लगने वाले जीवन चित्र भी आंचलिक परिप्रेक्ष्य में एक दूसरे से संबंध हो जाते है।

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