badal ko ghirte dekha hai
नागार्जुन की कविता बादल को धिरते देखा है का मूल्यांकन
नागार्जुन की कविता बादल को धिरते देखा है का मूल्यांकन नागार्जुन जीवन संधर्ष के ही नहीं प्रकृति सौन्दर्य के भी कवि है। उन्होंने …
नागार्जुन की कविता बादल को धिरते देखा है का मूल्यांकन नागार्जुन जीवन संधर्ष के ही नहीं प्रकृति सौन्दर्य के भी कवि है। उन्होंने …
हरिजन गाथा का मूल्यांकन राजनीति और साहित्य में एक गहरा सम्बंध है। मनुष्य की राजनीतिक क्रियाएँ साहित्य में ही स्थायी अ…
दिव्या यशपाल ने दिव्या की भूमिका में लिखा हैः “ दिव्या इतिहास नहीं, ऐतिहासिक कल्पना मात्र है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर व…
आषाढ़ का एक दिन : शीर्षक की प्रासंगिकता, मल्लिका की त्रासदी / केन्द्रीय चरित्र एवं भाषा आषाढ़ का एक दिन : अभिनेयता / रंगमंच की द…